हरियाली तीज: व्रत और पूजा विधि।
भारत मैं अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते है, प्रत्येक त्योहारों का अपना महत्त्व है। हरियाली तीज भी एक ऐसा त्यौहार है जो उत्तर भारत की महिलाये बड़े उत्साह एवं उमंग के साथ मानती है। इस पर्व को भगवन शिव और देवी पारवती के मिलन का प्रतीक देखते है, अर्थात प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष २०२४ में, 07 अगस्त, बुधवार को हरयाली तीज का व्रत किया जायेगा। मान्यता है की इस पर्व पर सुहागन महिलाये अपने सुहाग के लिए व्रत रखती है, और इस पर्व पर व्रत रखने का विशेष महत्व भी कहा गया है।
हरियाली तीज का महत्व
अनेको त्योहारों की तरह, हरियाली तीज का भी अपना एक विशेष महत्व है, इससे हम धार्मिक एवं सांस्कृतिक दोनों दृष्टिकोण से समझ सकते है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह पर्व देवी पारवती के भगवन शिव के प्रति समर्पण को दर्शाता है, अतः एक वैवाहिक जीवन के उस पवित्र बंधन को स्मरण करता है। महिलाये अपने पति की लम्बी आयु की कामना करने के लिए ये व्रत रखती है। सांस्कृतिक दृष्टि से देखे तो यह त्यौहार अनेको रीति और लोक गीतों को सरक्षित करता है, तथा हमारी सांस्कृतिक धरोहर बची रह सके।
हरियाली तीज व्रत
धार्मिक दृष्टि से देखे तो प्रत्येक रीति का पालन करने से पहले सबसे आवश्यक है उसके अर्थ और महत्त्व को समझना। हरियाली तीज व्रत का प्रमुख अर्थ विवाहित महिलायों के लिए है जो की ओने पति की लम्बी आयु और सुखी विवाहित संबंधो की अपेक्षा और कामना मे रखती है। यह व्रत विवाहित स्त्रीओ तक ही सिमित नहीं है, इस व्रत को रखने से अविवाहित लडकिया भी अच्छा वर प्राप्त कर सकती है। किन्तु यह व्रत साधारण व्रत जेसा नहीं है, इस व्रत को रखना और पालन करना कठिन है तथा अनुसाशनपूर्ण भी रखना होता है। इस व्रत के दौरान महिलाएं पूरा दिन किसी आहार तथा जल का सेवन नहीं करती है। व्रत के दौरान वे सभी परिम्पर्क तौर तरीको से देवी पारवती और भगवन शिव की आराधना करती है और कथा सुनती है।
हरियाली तीज की तैयारी
हरियाली तीज व्रत की पूजा सामग्री मैं सभी महत्वपूर्ण एवं आवश्यक सामग्री को एकत्रीत पर ध्यन दे। महिलओं को इस पर्व के लिए विशेष परिम्परिक परिधान जैसे हरे रंग की साड़ी या लहंगा धारण करने का प्रचालन है। इसके अलावा, महिलाएं अपने हाथो पर महंदी लगाती है और अभुशण पहनना भी अनिवार्य माना जाता है। इसके साथ ही घर की साफ सफाई की जाती है तथा फूलो और रंगोली से घर को कुशलता से सजाया जाता है। पूजा के प्रारंभ मैं अवश्य के की विशेष सामग्री जैसे मिट्टी की मूर्ति, फल, मिठाइयाँ, और पंचामृत को तेयार कर ले।
पूजा विधि
हरियाली तीज एक विशेष उत्सव की तरह मनाया जाता है इसीलिए इसकी तेयारी और विधि का सहज तरह से ध्यान रखना अवश्य है। इस व्रत के कठोर और शिष्ट पालन से कम्नाये अवश्य पूर्ण होती है।
- पूजा की सामग्री: मिट्टी की मूर्ति, फल, फूल, मेंहदी, पंचामृत, और प्रसाद।
- पूजा की शुरुआत: भगवान गणेश की पूजा से होती है।
- मुख्य पूजा: देवी पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियों का पूजन।
- व्रत कथा: महिलाएं व्रत कथा सुनती हैं और विशेष मंत्रों का जाप करती हैं।
- प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने पर प्रसाद का वितरण होता है।
हरियाली तीज का पारंपरिक परिधान, गीत और नृत्य
व्रत के दौरान परिम्परिक परिधान पहनना इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। साड़ी या लहंगा हरे रंग का हो तो उसे इस पर्व पर काफी शुभ माना जाता है जो समृद्धि का प्रतीक है। पर्व के दौरान महिलाएं समूह में रहकर लोक गीत का गान करती है। इसका महत्व सिर्फ मनोरंजन तक ही सिमित नहीं है बल्कि यह कार्यक्रम से हमारी सांस्कृतिक पद्धती को संजोह कर रखा गया है।
देवी पारवती और हरियाली तीज
माना जाता है की हरियाली तीज का पर्व माता पार्वती को विशेस्तर समर्पित किया जाता है, अर्थात व्रत करने वाली विवाहित महिलओं को माँ पार्वती को 16 श्रृंगार सामग्री को चढ़ावे के रूप में अर्पित करनी चाहिए, जिसके परीणामस्वरुप माँ व्रतकरता को अखंड सौभाग्यता तथा सुखी विवाहित जीवन का आशीर्वाद प्रदान करती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न।
Q. हरियाली तीज कब मनाई जाती है?
A- हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।
Q. हरियाली तीज का क्या महत्त्व है?
A- हरियाली तीज देवी पारवती के भगवन शिव के प्रति समर्पण को दर्शाता है,अर्थात इसे विवाहित जीवन के पवित्र बंधन के रूप में मनाया जाता है।
Q. हरियाली तीज व्रत कैसे रखा जाता है?
A- इस व्रत को रखना और पालन करना कठिन है तथा अनुसाशनपूर्ण भी रखना होता है। इस व्रत के दौरान महिलाएं पूरा दिन किसी आहार तथा जल का सेवन नहीं करती है।
Q. क्या अविवाहित लड़कियाँ भी हरियाली तीज व्रत रख सकती हैं?
A- हाँ, अविवाहित लड़कियाँ भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए हरियाली तीज व्रत रख सकती हैं।