होलाष्टक में ये काम न करें, हो सकती है जीवन में समस्याएं।
फाल्गुन में होली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। होली के एक दिन पहले लोग होलिका दहन मनाते है। होली के एक दिन पहले दिन सभी रात को इकट्ठे होकर होलिका दहन करते हैं।
मान्यता है कि होली के पहले के आठ दिनों यानी कि अष्टमी से लेकर पूर्णीमा तक विष्णु भक्त प्रहलाद को काफी कष्ट दिए गए थे। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को भी हिरण्य कश्यप ने प्रहलाद को बंदी बनाया। कष्ट के इन्ही आठ दिनों को अशुभ माना जाता है। प्रहलाद को जलाने के लिए होलिक उसे अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान की कृपा से वो खुद जल गई और प्रहलाद बच गए। इसी कारण इन आठ दिनों को होलाष्टक के रुप में मनाया जाता हैं
होलाष्टक की अवधी में ना करें ये काम।
शास्त्रों में फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधी को होलाष्टक कहा गया है। होलाष्टक का भी फाल्गुन मास में बहुत महत्व होता हैं। पंचांग के अनुसार होली के आठ दिन पहले ही होलाष्टक की शुरुवात हो जाती है। इस साल होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होगा। पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुवात 16 मार्च को रात 9:39 मिनट से हो रही है, जो 17 मार्च को सुबह 9:53 मिनट पर समाप्त होगा। होलाष्टक 17 मार्च से शुरू होकर 24 मार्च को खत्म होगा।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होला अष्टक के दौरान आठ ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं। अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी तिथि को सूर्य, दशमी तिथि को शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी को गुरू, त्रियोदशी तिथि को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णीमा को राहु उग्र रहते हैं।
- ज्योतिष विद्वानों के अनुसार होलाष्टक के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। माना जाता है कि होलाष्टक की अवधी में किए गए शुभ और मांगलिक कार्यों पर इन ग्रहों का बुरा प्रभाव पड़ता है, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर भी पड़ता है। जिससे जीवन में कई समस्याएं आ सकती है।
- धार्मिक मान्यता के अनुसार होलाष्टक के दौरान भगवान हनुमान, भगवान विष्णु, और भगवान नरसिंह की पूजा करना चाहिए। इनकी पूजा करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- होलाष्टक के आठ दिनों तक व्यक्ति को महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
- होलाष्टक के दिनों में किए गए दान और व्रत से जीवन के कष्टों से मुक्त हो जाते हैं।
- होलाष्टक में शादी, मुंडन, सगाई, और ग्रह प्रवेश जैसे शुभ काम नही करने चाहिए।
- होलाष्टक में घर, जमीन खरीदने या वाहन खरीदने नहीं चाइए।
- होलष्टक मे यज्ञ या हवन नहीं करना चाहिए। होलाष्टक में नए काम की शुरुवात नहीं करनी चाहिए।
- होलाष्टक में सोना, चांदी के गहने नही खरीदना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q. होलाष्टक कितने बजे से लग रहें हैं?
A. इस बार होलाष्टक 17 मार्च से शुरू हो रहा है।पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुवात 16 मार्च को रात 9:39 मिनट से हो रही है, जो 17 मार्च को सुबह 9:53 मिनट पर समाप्त होगा।
Q. होली के दिन क्या उपाय करना चाहिए?
A. होलिका दहन की सुबह घर की साफ सफाई करके मैन गेट पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाए। सुबह और शाम में कपूर और लोहवान जलाकर लक्ष्मी जी की आरती करें। साथ ही लक्ष्मी चालिसा का पाठ करें।
Q. होलाष्टक में क्या नहीं करना चाहिए?
A. होलाष्टक में शादी, सगाई, मुंडन, और गृह प्रवेश जैसे शुभ काम नही करना चाहिए।होलाष्टक में घर, जमीन खरीदने या वाहन खरीदने नहीं चाइए। होलष्टक मे यज्ञ या हवन नहीं करना चाहिए। होलाष्टक में नए काम की शुरुवात नहीं करनी चाहिए।
Q. जोलाष्टक अशुभ क्यों हैं?
A. वैसे तो भक्त प्रहलाद की कथा प्रचलित हैं किंतु यह भी माना जाता है कि कामदेव की पत्नी रति ने 8 दिनो तक भगवान शिव की पूजा की और कामदेव को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की, जिसे भगवान शिव ने स्वीकार किया। इसी परंपरा के कारण इन 8 दिनों को कोई भी पवित्र कार्य करना अशुभ माना जाता है। इन आठ दिनों में सभी ग्रह उग्र हो जाते हैं।