चैत्र नवरात्रि की शुरुआत: उत्सव की प्रारंभिक कहानी।
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चैत्र नवरात्रि, हिन्दू धर्म के पावन महीने ‘चैत्र’ में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है। इस नवरात्रि का आयोजन मां दुर्गा की पूजा और अर्चना के साथ किया जाता है, जिससे माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। यह नवरात्रि चैत्र मास के प्रथम दिन से शुरू होती है और नौ दिनों तक चलती है। चैत्र नवरात्रि का आरंभ आम तौर पर पूरे उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। लोग इस उत्सव के दौरान अपने घरों को सजाते हैं, मंदिरों में दीपों का प्रकाश करते हैं, और मां दुर्गा के मंदिरों में भक्ति भाव से जाते हैं। चैत्र नवरात्रि के दिनों में, लोग मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके भवनों को सजाते हैं। नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई थी?
मां दुर्गा को शक्ति का रुप कहा जाता है। नवरात्रि में सभी भक्त आध्यात्मिक शक्ति सुख समृद्धि की कामना करने के लिए इनकी उपासना करते हैं और व्रत रखते हैं। जिस राजा के द्वारा नवरात्रि की शुरुआत की गई थी उन्होंने देवी दुर्गा से आध्यात्मिक बाल और विजय की कामना के लिए व्रत और उनकी उपासना की थी । वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में उल्लेख मिलता है कि किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर लंका की चढ़ाई करने से पहले प्रभु राम ने माता दुर्गा की उपासना की थी। ब्रह्मा जी ने भगवान राम को देवी दुर्गा के स्वरूप चंडी देवी की पूजा करने की सलाह दी और ब्रह्मा जी की सलाह पाकर भगवान राम ने प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चंडी देवी की उपासना और पाठ किया था।
ब्रह्मा जी ने चंडी पूजा पाठ के साथ ही राम जी को बताया कि आपकी पूजा तभी सफल होगी जब आप चंडी पूजा और हवन के बाद 108 नील कमल भी अर्पित करेंगे। नीलकमल दुर्लभ माने जाते हैं। राम जी ने अपनी सेना की मदद से 108 नीलकमल ढूंढ लिए। लेकिन जब रावण को यह पता चला कि राम चंडी देवी की पूजा कर रहे हैं और नीलकमल ढूंढ रहे हैं, तो उसने अपनी मायावी शक्ति से एक नीलकमल गायब कर दिया। चंडी पूजा के अंत में जब भगवान राम ने वे नीलकमल चढ़ाए तो उनमें एक कमल कम निकाला। यह देखकर वह चिंतित हुए और अंत में उन्होंने कमल की जगह अपनी एक आंख माता चंडी पर अर्पित करने का फैसला लिया। अपनी आंख अर्पित करने के लिए जैसे ही उन्होंने तीर उठाया तभी माता चंडी प्रकट हुई और माता चंडी उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया।
किसने रखा था सबसे पहले नवरात्रि का व्रत
प्रतिपदा से लेकर नवमी तक माता चंडी को प्रसन्न करने के लिए प्रभु श्री राम ने अन्न जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया। 9 दिनों तक माता दुर्गा के स्वरूप चंडी देवी की उपासना करने के बाद भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त हुई। ऐसा माना जाता है, कि तभी से नवरात्रि मनाने और नौ दिनों तक व्रत रखने की शुरुआत हुई। ऐसे में भगवान राम ही नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत रखने वाले पहले राजा और पहले मनुष्य थे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के किस-किस रूप की पूजा की जाती है?
A. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा के रूप में भी जाना जाता है। ये रूप हैं:–
- शैलपुत्री – पहले दिन की पूजा
- ब्रह्मचारिणी – दूसरे दिन की पूजा
- चंद्रघंटा – तीसरे दिन की पूजा
- कूष्माण्डा – चौथे दिन की पूजा
- स्कंदमाता – पांचवे दिन की पूजा
- कात्यायनी – छठे दिन की पूजा
- कालरात्रि – सातवें दिन की पूजा
- महागौरी – आठवें दिन की पूजा
- सिद्धिदात्री – नौवें दिन की पूजा
इन नौ रूपों की पूजा नवरात्रि के दौरान भक्तों द्वारा भक्ति, पूजा, और व्रत के साथ की जाती है।
Q. नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई?
A. ब्रह्मा जी ने भगवान राम को देवी दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा करने की सलाह दी और ब्रह्मा जी की सलाह पाकर भगवान राम ने प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चंडी देवी की उपासना और पाठ किया था। इसलिए यह नवरात्रि की मान्यता है।
Q. हम चैत्र नवरात्रि क्यों मनाते हैं?
A. चैत्र नवरात्रि का महत्व – चैत्र नवरात्रि को आध्यात्मिक नवीनीकरण, शुद्धि और परमात्मा का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक शुभ समय माना जाता है। यह अंधकार पर प्रकाश की, दुष्टता पर धर्म की और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है।
Q. नवरात्रि का पर्व किस प्रकार के प्रसाद के साथ मनाया जाता है?
A. नवरात्रि के पर्व में बहुत से प्रकार के प्रसाद मनाए जाते हैं, जैसे हलवा, पूरी, चना, कट्टू पूरी, चावल, और मिठाई। इन्हें भक्तों को पूजा के बाद बांटा जाता है और उन्हें प्रसाद के रूप में लिया जाता है।
Q. नवरात्रि के दौरान किन-किन चीजों का विशेष महत्व है?
A. नवरात्रि के दौरान धार्मिक कथाओं, पूजा-अर्चना, व्रत, और सामाजिक उत्सवों का विशेष महत्व होता है।
Q. नवरात्रि के उत्सव का समापन कैसे होता है?
A. नवरात्रि के उत्सव का समापन दशमी तिथि को होता है, जिसे विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग देवी दुर्गा की विजय को समर्पित करते हैं।